ईसाइयों के साथ ऐसे बर्ताव करता है चीन

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नमस्कार!
चीन में एक मशहूर कहावत है- एक ईसाई का बढ़ना, मतलब एक चीनी का कम हो जाना। यानी चीन की नजर में जिसने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया, वह फिर दिल से चीनी नहीं रह जाता। वैसे चीन आधिकारिक तौर पर नास्तिक मुल्क है। साल 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी के सत्ता में आने के बाद चीन में सभी धर्मों के खिलाफ सरकारी अभियान चलाया गया। एक वक्त ऐसा भी आया, जब धार्मिक किताबों के साथ पकड़े जाने पर जेल हो जाती थी। मंदिर, मस्जिद और चर्च ढहा दिए गए। उइगुर मुस्लिमों के साथ हो रहे जुल्म किसी से छिपे नहीं है।

उइगुर मुस्लिमों को जिस तरह इस्लाम का नया पाठ पढ़ाया जा रहा है, वैसा ही कुछ हो रहा है ईसाई लोगों के संग। ईसाई धर्म का चीनीकरण। चीन ईसाइयों की धार्मिक इमारतों से लेकर परंपरा तक, सबकुछ अपने हिसाब से ढाल रहा है। चीन में ईसाइयों की हालत सुधारने के लिए वेटिकन सिटी के पोप ने साल 2018 में चीन से एक समझौता किया था, लेकिन शी जिनपिंग सरकार ने अब उसे भी तोड़ दिया। पोप और चीन के बीच समझौते में क्या बातें हुई थीं? यह समझौता किस वजह से टूटा? क्या अब उइगुर मुस्लिमों की तरह ईसाइयों पर जुल्म करेगा चीन? क्या पोप के नाराज होने से चीन को कोई नुकसान होगा? इन सभी सवालों का जवाब जानने के लिए सुनें या पढ़ें हमारी आज की खास पेशकश, 'ईसाइयों के साथ ऐसे बर्ताव करता है चीन'।

इसके अलावा आज और क्या खास है नवभारत गोल्ड पर, आप इसे नीचे न्यूजलेटर में देख सकते हैं। खबरों को विस्तार से समझने के लिए सुनते रहें नवभारत गोल्ड।

सबके निशाने पर क्यों रहती है तोंद?

आपके लिए स्पेशल पॉडकास्ट | सुनिए 11:30 Mins

भूख मिटाने के लिए खाना जरूरी है, लेकिन जब ज्यादा खा लिया जाता है, तो पेट तोंद में बदलने लगता है। और तोंद हेल्थ पर असर डालती है। फिटनेस पर कितना असर पड़ता है। तोंद हो, लेकिन अगर आप फिट हैं तो फर्क नहीं पड़ता लेकिन कई ऐसे डिपार्टमेंट हैं, जहां तोंद निकल आती है, और फिर सीढ़ियां चढ़ना भी मुश्किल दिखाई देता है। तो आप शारीरिक तौर पर कितने स्वस्थ हैं, पेट और तोंद पर सुनिए ये दिलचस्प बातचीत

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नंगे पैर यूरोप को टक्कर दी थी भारतीय फुटबॉल टीम ने

सुनिए या विस्तार से पढ़िए | 07:16 Mins

भारत में फुटबॉल के प्रशंसकों ने दूसरे देशों को चुन रखा है। कतर में चल रहे फीफा फुटबॉल वर्ल्ड कप (FIFA World Cup 2022) में भी किसी की पसंद ब्राजील है, तो किसी की अर्जेंटीना। क्या भारत का दिन कभी आएगा?

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एक तांत्रिक के लिए प्रिंसेस ने क्यों छोड़ा परिवार?

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नॉर्वे की प्रिंसेस मार्था लुईस ने एक ताबीज बेचने वाले से शादी करने के लिए शाही परिवार को छोड़ दिया

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